भाग २ का अभ्यास आपको भाग १ के ४ हफ्ते के अभ्यास के बाद ही शुरू करना चाहिए. भाग २ में सुर के थोड़े कठिन अभ्यास हैं और अगर भाग १ ठीक प्रकार से नहीं अभ्यासित किये गए हैं तो भाग २ के अभ्यास में आपको थोडी परेशानी होगी. सुर के अभ्यास में जल्दबाजी करने का कोई अर्थ नहीं है. अगर चरण दर चरण, भाग दर भाग आपने गायकी का आधार ठीक तरह से अभ्यास कर के तैयार नहीं किया है तो आगे चल कर असल गायकी की पद्धतियाँ सीखना बहुत मुश्किल होगा. इस सलाह के साथ, आइये भाग दो का अभ्यास शुरू करते हैं. स्वर नियंत्रण अभ्यास स्वर नियंत्रण अभ्यास एक तरह से गले से स्वर में बदलाव लाने की प्राकृतिक क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है. अभ्यास 1 अभी तक हम सा रे गा मा का एक सांस में सामान रूप से बिना किसी कम्पन या बिना किसी बदलाव के, एक एक स्वर अलग अलग लगाने का प्रयास कर रहे थे. अब हमें लम्बे खींचे जा रहे एक एक स्वर को बिना सांस तोड़े दो भाग में, दो दो बार लगाना है. तो ये इस तरह होगा: सा---सा--<सांस पूरी भरें अब>--रे----रे--<सांस पूरी भरें अब>--गा----गा--<सांस पूरी भरें अब>--मा----मा--<सांस पूरी भरें अब>--पा----पा--<सांस पूरी भरें अब>--धा----धा--<सांस पूरी भरें अब>--नी----नी--<सांस पूरी भरें अब>--सा'----सा' जब आप सा----सा लगा रहे हैं तो दो बार सा सा लगाने में न तो सांस टूटनी चाहिए और ना ही गले से आ रही आवाज़ की ताकत या दबाव बदलना चाहिए, एक सामान आवाज़, सांस का एक पूरा प्रवाह अभ्यास 2 जो अभ्यास ऊपर किया है उसी को अब अकार में करें. आ---आ--(सा के सुर में) <सांस पूरी भरें अब>---आ--आ--(रे के सुर में) <सांस पूरी भरें अब>--आ--आ--(गा के सुर में) <सांस पूरी भरें अब>--आ---आ--(मा के सुर में) <सांस पूरी भरें अब>--आ--आ--(पा के सुर में) <सांस पूरी भरें अब>--आ--आ--(धा के सुर में) <सांस पूरी भरें अब>--आ--आ--(नी के सुर में ) <सांस पूरी भरें अब>---आ--आ (सा' के सुर में) स्वर पहचान अभ्यास इस अभ्यास का उद्देश्य है आपको एक एक सुर की निश्चित और निःसंदेह रूप से पहचान करना. आपको सुर की इतनी पहचान होनी चाहिए की आप वाद्य यन्त्र पर या फिर गए जा रहे किसी भी सुर को पकड़ सके और पहचान सकें कि ये सात सुरों में से कौन सा है. सुर को इस प्रकार से पहचान पाना साधारण तौर पर अनभ्यस्त गायक के लिए आसान नहीं होता. इसके लिए बहुत अभ्यास कि जरूरत पड़ती है. यहाँ पर पर हम स्वर पहचान के कुछ सरल लेकिन अच्छे अभ्यास बता रहें है. अभ्यास 1 इसमे आपको वाद्य यन्त्र की जरूरत पड़ेगी, अगर हारमोनियम है तो बढ़िया है, नहीं तो CASIO key board भी चलेगा. इस अभ्यास में आप सा को आधार बना कर इसके साथ एक एक कर के सारे सुरों को लगाने का प्रयास करें. तो अभ्यास क्रम कुछ इस तरह रहेगा: सा रे----सा गा ----सा मा----सा पा----सा धा----सा नी तो इस प्रकार, हर बार सा पर वापस आना है और फिर सा से सीधे अगले सुर पर जाना है. ५-६ बार हारमोनियम या CASIO के साथ अभ्यास करने के बाद, आप बिना वाद्य यन्त्र के, स्वयं उसी क्रम में सुर लगाने का प्रयास करें. जब सुर लगा रहे हों तो फिर हारमोनियम से वही सुर बजा कर देखें की आपने सुर सही पकड़ा है की नहीं. तो इस तरह से, जब आप सा रे पर हैं तो रे लगाने के बाद हारमोनियम पर रे बजायें और देखें कि आपका सुर सही लगा कि नहीं. अंततः, आपको बिना हारमोनियम के सहारे के सही क्रम में सही सुर लगा के अभ्यास करने का प्रयास करना है. अभ्यास 2 सुरों के अभ्यास में "सा" का बहुत महत्व है. सारे सुरों को सा के हिसाब से, सा की अपेक्षा में पहचान पाना एक जरूरी गुण है. शुरुआती अभ्यास के समय हर सुर को बिना सरगम का सहारा लिए अलग अलग पहचान पाना और लगा पाना थोडा कठिन होता है. और कई बार सरगम के कुछ सुर, खासकर ऊंचे वाले (ध, नी, सा, और ऊंचे सप्तक का सा, रे ...) ठीक तरह से नहीं लगते. इन सब कठिनाइयों के लिए नीचे बताया अभ्यास बड़ा महत्वपूर्ण है. इस अभ्यास में सा को आधार बना कर सुरों को अभ्यास करना है. अभ्यास जितना धीरे गति के किया जाये उतना अच्छा होगा. स्वरों के एक पंक्ति में दिए हुए क्रम को सुर माला कहा जायेगा (ताकि समझाने में आसानी हो). उदाहरण के लिए, 'सा रे गा रे सा' एक सुर माला है. यहाँ पर आधार सुर माला 'सा' लाल रंग से चिन्हित किया हुआ है जो हर सुर माला के बाद दोहराना है, आधार की पकड़ मजबूत करने के लिए. सुरों के बढ़ते क्रम के सबसे ऊंचे सुर को नीले में चिन्हित किया है. 1. सा सा सा सा (2 बार दोहराएँ) 2. सा रे सा....सा रे सा ( 2 बार दोहराएँ) 3. सा सा सा सा (2 बार दोहराएँ) 4. सा रे गा रे सा...सा सा सा सा... सा रे गा रे सा...सा सा सा सा (3 बार दोहराएँ) 5. सा रे गा मा गा रे सा...सा सा सा सा ....सा से गा मा गा रे सा...सा सा सा सा (4 बार दोहराएँ) 6. सा रे गा मा पा मा गा रे सा...सा सा सा सा.... सा रे गा मा पा मा गा रे सा...सा सा सा सा (5 बार दोहराएँ) 7. सा रे गा मा पा धा पा मा गा रे सा...सा सा सा सा.... सा रे गा मा पा धा पा मा गा रे सा...सा सा सा सा (5 बार दोहराएँ) 8. सा रे गा मा पा धा नी धा पा मा गा रे सा...सा सा सा सा.... सा रे गा मा पा धा नी धा पा मा गा रे सा...सा सा सा सा (6 बार दोहराएँ) 9. सा रे गा मा पा धा नी सा' नी धा पा मा गा रे सा...सा सा सा सा.... सा रे गा मा पा धा नी सा' नी धा पा मा गा रे सा...सा सा सा सा (6 बार दोहराएँ) 10. सा रे गा मा पा धा नी सा' रे' सा' नी धा पा मा गा रे सा...सा सा सा सा.... सा रे गा मा पा धा नी सा' रे' सा' नी धा पा मा गा रे सा...सा सा सा सा (6 बार दोहराएँ) 11. सा रे गा मा पा धा नी सा' रे' गा' रे' सा' नी धा पा मा गा रे सा...सा सा सा सा.... सा रे गा मा पा धा नी सा' रे' गा' रे' सा' नी धा पा मा गा रे सा...सा सा सा सा (6 बार दोहराएँ) तार सप्तक में अगर शुरुआत में गा' तक आप सुर लगा सकते हैं तो अच्छा है. अगर आप कर सकते हैं तो इसी क्रम में मा' और पा' तक भी जा सकते हैं. ताल संयोजित स्वर अभ्यास इन अभ्यासों में स्वर के विभिन्न संयोजनों का प्रयोग होगा. अलग अलग संयोजन अलग अलग तालों पर आधारित हैं. तालों के बारें में हम बाद में सीखेंगे, अभी उसके बारे में चिंता करने की ज्यादा जरूरत नहीं है. इतना जान लेना काफी है की ये तालों पे आधारित अभ्यास है और बाद में ताल सीखने में काम आएगा. अभ्यास 1 पहले आरोह करें : सा रे गा - रे गा मा - गा मा पा - मा पा धा - पा धा नी - धा नी सा' फिर अवरोह करें: सा' नी धा - नी धा पा - धा पा मा - पा मा गा - मा गा रे - गा रे सा गति और आवाज़ की तीव्रता एक सामान बनाये रखें. सुर माला में जहाँ (-) दिखाया गया है वहा रुकने की जरूरत नहीं है. दो सुरों के बीच में एक ही समय लगाना चाहिए. उदाहरण के लिए, रे से गा जाने में जितना समय लग रहा है उतना ही समय गा से अगले सुर (- के बाद वाला) रे में भी लगाना चाहिए, बिना किसी रूकावट के. ४-५ बार ऐसा अभ्यास करने के बाद यही अभ्यास अकार में करे. अभ्यास 2 पहले आरोह करें : सा रे गा मा रे गा मा पा गा मा पा धा मा पा धा नी पा धा नी सा' फिर अवरोह करें: सा' नी धा पा नी धा पा मा धा पा मा गा पा मा गा रे मा गा रे सा अभ्यास 3 पहले आरोह करें: सा रे - सा रे गा रे गा - रे गा मा गा मा - गा मा पा मा पा - मा पा धा पा धा - पा धा नी धा नी - धा नी सा' फिर अवरोह करें: सा' नी - सा' नी धा नी धा - नी धा पा धा पा - धा पा मा पा मा - पा मा गा मा गा - मा गा रे गा रे - गा रे सा ४-५ बार ऐसा अभ्यास करने के बाद यही अभ्यास अकार में करे. अभ्यास 4 पहले आरोह करें: सा रे - सा रे गा मा रे गा - रे गा मा पा गा मा - गा मा पा धा मा पा - मा पा धा नी पा धा - पा धा नी सा' फिर अवरोह करें: सा' नी - सा' नी धा पा नी धा - नी धा पा मा धा पा - धा पा मा गा पा मा - पा मा गा रे मा गा - मा गा रे सा ४-५ बार ऐसा अभ्यास करने के बाद यही अभ्यास अकार में करे. अभ्यास 5 पहले आरोह करें: सा रे गा - सा रे गा मा रे गा मा - रे गा मा पा गा मा पा - गा मा पा धा मा पा धा - मा पा धा नी पा धा नी - पा धा नी सा' फिर अवरोह करें: सा' नी धा - सा' नी धा पा नी धा पा - नी धा पा मा धा पा मा - धा पा मा गा पा मा गा - पा मा गा रे मा गा रे - मा गा रे सा ४-५ बार ऐसा अभ्यास करने के बाद यही अभ्यास अकार में करे. अभ्यास 6 पहले आरोह करें: इस अभ्यास में लाल रंग से चिन्हित स्वर पे ध्यान दें क्यों की अभी तक के अभ्यास में स्वर चढ़ते क्रम में ही थे जब की इस अभ्यास में लाल रंग से चिन्हित स्वर उतरे क्रम में आते हैं. सा रे गा रे - सा रे गा मा रे गा मा गा - रे गा मा पा गा मा पा मा - गा मा पा धा मा पा धा पा - मा पा धा नी पा धा नी धा - पा धा नी सा' फिर अवरोह करें: सा' नी धा नी - सा' नी धा पा नी धा पा धा - नी धा पा मा धा पा मा पा - धा पा मा गा पा मा गा मा - पा मा गा रे मा गा रे गा - मा गा रे सा ४-५ बार ऐसा अभ्यास करने के बाद यही अभ्यास अकार में करे. अलंकार अभ्यास - भाग 3 पर जाएँ अलंकार अभ्यास - भाग 1 पर जाएँ |
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